
उत्तर प्रदेश ने आज स्वास्थ्य और परंपरा के संगम में एक नया अध्याय जोड़ा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गोरखपुर में महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण करते हुए इसे आयुष पद्धतियों के पुनर्जागरण का उत्सव बताया।
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यह विश्वविद्यालय 268 करोड़ रुपये की लागत से, 52 एकड़ भूमि पर निर्मित किया गया है। यह केवल मेडिकल एजुकेशन नहीं, बल्कि भारतीय जीवनशैली, अध्यात्म और योग की जड़ों को फिर से मजबूत करने का प्रयास है।
“गोरखपुर साधना, तपस्या और आत्मगौरव की भूमि है” – राष्ट्रपति
अपने भाषण की शुरुआत करते हुए महामहिम ने गुरु गोरखनाथ को नमन किया। उन्होंने कहा कि गोरखपुर केवल भौगोलिक स्थान नहीं, बल्कि योग, परंपरा और राष्ट्रप्रेम की आत्मा है। नाथ संप्रदाय ने न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया।
गीताप्रेस का योगदान: “धर्म-संस्कृति का अमर दीप”
राष्ट्रपति ने गीताप्रेस गोरखपुर को भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में अद्वितीय बताया। उन्होंने बताया कि उड़िया भाषा में प्रकाशित शिवपुराण और भागवत महापुराण की प्रतियां उन्हें मंदिर में भेंट की गईं — ये गोरखपुर की अमूल्य सांस्कृतिक संपत्ति हैं।
योगी सरकार की प्रशंसा: “निद्राजीत योगी हैं मुख्यमंत्री”
राष्ट्रपति मुर्मू ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को “अथक परिश्रमी और जनसेवक” बताया। उन्होंने कहा कि योग के माध्यम से योगी आदित्यनाथ ने नींद पर विजय पाई है और दिन-रात जनता के कल्याण में लगे रहते हैं।
“योग और पंचतत्व से बना यह शरीर है अमर ऊर्जा का स्रोत”
राष्ट्रपति ने बताया कि कम फिजिकल एक्टिविटी करने वालों के लिए योग अनिवार्य है। उन्होंने भारत को ऋषियों और योगियों की भूमि बताते हुए कहा कि योग और आयुर्वेद के जरिए आज भी हम 100 वर्ष तक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
“खेती और जंगलों में अब भी छिपा है औषधियों का खजाना”
श्रीमती मुर्मू ने कहा कि आज भी खेतों और जंगलों में जड़ी-बूटियों और वनस्पतियों का खजाना मौजूद है। आयुर्वेदिक औषधियां प्राकृतिक, सस्ती और साइड इफेक्ट फ्री हैं। उन्होंने कहा कि अरिष्ट व आसव औषधियों की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती।
आयुष: परंपरा और ग्लोबल स्वास्थ्य प्रणाली का संगम
उन्होंने बताया कि आयुष में सिर्फ आयुर्वेद या योग नहीं, बल्कि यूनानी, होम्योपैथी जैसी पद्धतियां भी शामिल हैं, जिन्हें भारत ने अपनाया है और दुनिया भर में इसका प्रचार-प्रसार किया है। यह विश्वविद्यालय वैश्विक स्वास्थ्य क्रांति में अहम भूमिका निभाएगा।
क्या करेगा यह विश्वविद्यालय?
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100 से अधिक आयुष कॉलेज इससे संबद्ध होंगे।
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स्नातक से लेकर उच्चस्तरीय शोध तक की सुविधा उपलब्ध होगी।
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रोजगारपरक कोर्स होंगे।
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शोध और प्रमाण आधारित शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
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पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को वैश्विक मानकों पर लाने का प्रयास किया जाएगा।
“गोरख जगायो जोग” – योग परंपरा का फिर से जागरण
महायोगी गोरखनाथ को याद करते हुए राष्ट्रपति ने गोस्वामी तुलसीदास का उद्धरण दिया – “गोरख जगायो जोग”। यानी गुरु गोरखनाथ ने हठयोग को जन-जन तक पहुंचाया। अब उसी परंपरा को यह विश्वविद्यालय 21वीं सदी की भाषा में फिर से जागृत करेगा।
भारत की जड़ें ही भारत की शक्ति हैं
राष्ट्रपति मुर्मू का यह दौरा केवल लोकार्पण नहीं, बल्कि एक नवजागरण का संदेश था — कि भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना होगा। योग, आयुर्वेद और अध्यात्म ही भारत की सबसे बड़ी ताकत हैं।
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